प्रकाश का परावर्तन

प्रकाश, नाम सुनकर ही मन में आता है रोशनी । जी हां दरअल यह उतना भी भिन्न नहीं है अर्थात् जिसके मदद से आप या हम कुछ भी देख पाते हैं वो प्रकाश है।

यह एक जरिया है हमें दृष्टि प्रदान करने की।  तो कुल मिला कर अगर कहें तो यह कहना बिल्कुल भी अनुचित नहीं होगा कि "प्रकाश वह माध्यम या स्रोत है जिसकी मदद से हम किसी भी वस्तु या दृश्य को देख पाते हैं " ।


तो यह तो हो गया प्रकाश क्या है, पर हमारा आज का विषय यह नहीं है, बल्कि आज हम आपको बताने जा रहे है प्रकाश के दो प्रमुख घटनाओं के बारे में जिसे आपने अपने दैनिक जीवन में भी बहुत बार देखा होगा या महसूस किया होगा।


आप जब भी आइने में अपना चेहरा देखते हैं, या सूर्य से आती किरण जब किसी आइने या पानी से टकराकर आप पर गिरती है । तो क्या कभी आपने जानने की कोशिश किया कि आखिर ऐसा क्यों होता है ??

या कभी जब धूप वाले दिनों में किसी लंबी सड़क पे जाते हैं तो आपने सड़क पर कुछ दूर में पानी होने का आभास जरूर किया होगा।

एक ऐसी ही घटना प्रिज्म में आपने महसूस की होगी की सूर्य की किरण इस पर गिरने से ये सात रंग में आगे देखने को मिलती है ।


ये सभी घटनाएं है तो प्राकृतिक परंतु इन सब में भौतिकी का सिद्धांत या यूं कहें तो सार छुपा है । 

तो चलिए जानते है कि आखिर प्रकाश के इन घटनाओं के बारे में की आखिर प्रकाश का परावर्तन- अपवर्तन क्या है ?


प्रकाश का परावर्तन


जैसा कि हमने ऊपर ही एक उदाहरण जाना की आखिर जब हम आइने में अपनी तस्वीर देखते है या सूर्य से आती किरण आइने पर पड़ती है तो उसके बाद जो भी घटित होता है ये सभी प्रकाश के परावर्तन के उदाहरण हैं । 


दरअसल अगर हम परिभाषा की बात करें तो,

" जब प्रकाश की किरण किसी माध्यम से टकराकर अपने पुराने माध्यम में लौट जाती है तो इस घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।"  

प्रकाश जब भी कोई सतह से टकराता है तो या तो वह अपने पुराने माध्यम में वापस लौट जाता है जो परावर्तन कहलाता है और या उसके अंदर प्रवेश कर जाता है, जिसे अपवर्तन कहते है उसके बारे में हम आगे विस्तार से जानेंगे । 


प्रकाश का परावर्तन का Sketch:-


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प्रकाश का परावर्तन वाले Diagram में जरूरी शब्दकोश :-



  1. परावर्तक पृष्ठ :-  प्रकाश की किरण जिस सतह पर आकर गिरती है अथवा परावर्तन की घटना  जिस सतह से दर्शाई जाती है,  उसे ही परावर्तक पृष्ठ कहते हैं |  दिए गए चित्र में MM’ परावर्तक पृष्ठ है | 


  1. आपतित किरण :-  प्रकाश की वह किरण जो आकर किसी सतह पर गिरती है, अर्थात्  आपतीत होती है उसे ही आपातित किरण कहते हैं । उपर दिए गए चित्र में 'PO' आपतित किरण है। 


  1. आपतन बिंदु :- सतह पर मौजूद वह बिंदु जिसपर आकर आपतित किरण गिरती है, आपतन बिंदु कहलाता है । उपर के diagram में  'O' आपतन बिंदु है ।


  1. परावर्तित किरण :- सतह से टकराने के पश्चात प्रकाश कि जो किरण परावर्तित होकर निकलती है, उसे परावर्तित किरण कहते हैं । उपर दर्शाए गए चित्र में 'OQ' परावर्तित किरण है । 


  1. अभिलंब :- प्रकाश के परावर्तन को अच्छे से समझने के और कुछ भौतिकी और गणितीय कलन के लिए हम आपतन बिंदु पर एक लंब डालते हैं, जिसे अभिलंब कहते हैं । उपर के चित्र में 'OR' एक अभिलंब है ।


  1. आपतन कोण :- आपतित किरण और अभिलंब के बीच बने हुए कोण को आपतन कोण कहते है । दिए गए डायग्राम में '/_POR' को आपतन कोण कहते हैं ।


  1. परावर्तन कोण :- परवर्तीत किरण और अभिलंब के बीच बने हुए कोण को परावर्तन कोण कहते है । दिए गए डायग्राम में '/_QOR' को परावर्तन कोण कहते हैं ।


परावर्तन के नियम:- 


परावर्तन को अच्छे से समझने के लिए दो नियम दिए गए हैं, जिसके द्वारा इसकी व्याख्या आसानी से की का सकती है ।


  1. परावर्तन के प्रथम नियम के अनुसार :- 

आपतित किरण,  परावर्तित  किरण और आपतन बिंदु पर खींचा गया अभिलंब तीनों एक  एक ही तल में होते हैं |

अर्थात आपतित किरण  जिस सतह पर गिरती है  उसी सतह पर अभिलंब भी खींचा जाता है और वही से किरण परावर्तित भी होती है |


  1. परावर्तन के द्वितीय नियम के अनुसार :-

आपतन कोण और  परावर्तन कोण हमेशा बराबर होते हैं | 

अर्थात आपतन कोण का मान हमेशा परावर्तन कोण के बराबर होता है,

                                        

                                   ∠i = ∠r

जहां,  ∠i आपतन कोण तथा ∠r  परावर्तन कोण है |



परावर्तन के प्रकार :- 

  मुख्यतया परावर्तन दो प्रकार के होते हैं :-

  1.  नियमित परावर्तन :-  

  

जब प्रकाश की किरण किसी समतल परावर्तक पृष्ठ  से परावर्तित होती है,  तो ऐसे परावर्तन को नियमित परावर्तन कहते हैं |  इस परावर्तन में सतह बिल्कुल चिकना होता है |


 नियमित परावर्तन में परावर्तन के नियमों का व्याख्या करना सरल होता है |


  1.    विसरित परावर्तन :-

जब प्रकाश की किरण किसी   असमतल परावर्तक पृष्ठ से परावर्तित होती है,  परावर्तित किरण जहां-तहां फैल जाती है तो ऐसे परावर्तन को विसरित  परावर्तन कहते हैं |


यह परावर्तन के नियम का पूर्णतया पालन नहीं करता है |


परावर्तन के उदाहरण:-


  • समतल दर्पण से परावर्तन :-

जब भी हम किसी  समतल दर्पण में अपना प्रतिबिंब देखते हैं तो वह बिल्कुल सीधा और हमारे समान लंबाई का दिखता है,  ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि समतल दर्पण में  वस्तु की दूरी =  प्रतिबिंब की दूरी होता है |


 समतल दर्पण में  प्रतिबिंब के गुण :-


  • प्रतिबिंब हमेशा समान ऊंचाई और दूरी पर स्थित होता है |

  •  प्रतिबिंब काल्पनिक होता है |

  • वस्तु की स्थिति के अनुसार प्रतिबिंब की स्थिति में परिवर्तन आता है |


  •   गोलीय दर्पण से परावर्तन :-


 जब हम किसी गोलीय दर्पण में अपना प्रतिबिंब देखते हैं तो या तो वह थोड़ा उभरा  हुआ  या थोड़ा  धशा हुआ प्रतीत होता है,  क्योंकि गोलीय दर्पण में परावर्तन समतल सतह पर ना होकर  गोलीय सतह पर होता है जिससे  प्रतिबिंब में बदलाव आता है |


 गोलीय दर्पण में प्रतिबिंब के गुण :-


  •  प्रतिबिंब की स्थिति वस्तु की स्थिति पर निर्भर करती है |

  •  प्रतिबिंब काल्पनिक एवं वास्तविक दोनों हो सकते हैं |

  • प्रतिबिंब की स्थिति  प्रकाश के स्रोत पर निर्धारित करती है | 


कुछ महत्वपूर्ण बिंदु :-


  • प्रकाश सीधी रेखा में गमन करता है ।

  • परावर्तन के नियम की पुष्टि पहले की जा चुकी है ।

  •  पूर्ण आंतरिक परावर्तन, परावर्तन का प्रकार नहीं है ।

  •  परावर्तन के द्वितीय नियम को सिद्ध करने के लिए किसी नियतांक की आवश्यकता नहीं होती है ।

  •  प्रकाश के परावर्तन की व्याख्या प्रकाश को एक किरण या बिंदु स्रोत मानकर ही की जा सकती है ।

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